skip to main
|
skip to sidebar
Anjaan Nadi ke Naav
Wednesday, 9 November 2011
फ्लस्बैक
ये यादें भी,
लहरों की मानिंद आती हैं,
किनारों तक आ कर ,
गुज़रे हुए कारवां पर ,
रेत ही तो बिछाती हैं .
उन खुबसूरत पलों से,
रूबरू होने के लिए,
हम रोज़ रेत उठातें
हैं,
खुद की इजाद की हुई,
टाइम मशीन में बैठ कर,
फ्लस्बैक में चले जाते हैं .
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)
Followers
Blog Archive
►
2022
(1)
►
September
(1)
►
2021
(2)
►
September
(2)
►
2017
(1)
►
September
(1)
►
2013
(2)
►
June
(1)
►
May
(1)
▼
2011
(7)
▼
November
(1)
फ्लस्बैक
►
October
(1)
►
September
(3)
►
August
(2)
About Me
sumit
View my complete profile